उसको मंजिल लिख दिया

देखकर चेहरे को उसके गजल हमने लिख दिया
डूब उसके भाव का सौंदर्य हमने लिख दिया
कान की बाली सुशोभित उसके ऊपर हो रही
उसको तो मैं आसमान का इक सितारा लिख दिया
लालिमा से युक्त लाली होठ पर जब सज गई
क्षीर सागर में गमकता कमल हमने लिख दिया
मंद सी मुस्कान उसके होंठ पर जैसे खिली
लालिमा से युक्त उसको प्रात सूरज लिख दिया
जो लटकते केस काले आज उनके गाल पर
चांद पर काली घटा का पहरा हमने लिख दिया
उनके दो चंचल नशीले नैन जो ठहरे कभी
उसको तो हमने जहां का गहरा सागर लिख दिया
जब कभी भी राह चलते दिल धड़कने ये लगा
रास्ता खुद को कहा और उसको मंजिल लिख दिया
पूछा किसी ने हाल ए दिल तो भाव में ही डूब कर
अश्क आंखों से बहाकर प्रेम उसको लिख दिया

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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