ईमानदारी एक साधना है

ईमानदारी एक साधना है

ईमानदार होने के मतलब
अप्रयास अज्ञात हजार शत्रु उत्पन्न करना।
ईमानदार होने का अर्थ
अपने परिश्रम और
ईश्वर के न्याय पर पूर्ण विश्वास रखना।
ईमानदार होने का अर्थ है
नंगी तलवार पर चलना
और मुंह से आह न निकलना ।
ईमानदार होने का आशय है
पुरस्कार के सारे अवसर खोना ।
ईमानदार होने का मतलब है
व्यवस्था में सुकर्मठ होकर भी , निकम्मा होना
सर्वांगीण कर्तव्य परायण होकर भी
अछूत जीवन जीना ।
ईमानदार होने का अभिप्राय है
अभाव में बसर करते हुए भी
ईश्वर का आभार करना ।
ईमानदार होने का तात्पर्य है
एक अकेले अपनी अंगुली पर
गोवर्धन पर्वत उठाना और
इंद्र के कोप के लगातार थपेड़ों से सहना।
ईमानदार होने का मतलब है
सर्वत्र विद्यमान कंसो, रावणों,दुर्योधनों से
मुकाबला करना और जीतते रहना ।
ईमानदार होने का मायने है
शुद्ध हवा का संरक्षण करना
ईश्वरीयता को विश्वास से जीना और
कमतर साधनों में दुष्कर संघर्ष करना।
संविधान का कोई प्रायोगिक
सरंक्षण नहीं इस प्रजाति को
बावजूद इसके
ईमानदारी एक प्रतिष्ठा है
एक गर्व है
एक सम्मान है
एक पवित्र अहसास है
एक सुर है हृदय को शांति देने वाला
एक सेवा है निष्काम भाव की
एक कठोर साधना है भारतमाता की

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रचनाकार

Author

  • त्रिभुवनेश भारद्वाज "शिवांश"

    त्रिभुवनेश भारद्वाज रतलाम मप्र के मूल निवासी आध्यात्मिक और साहित्यिक विषयों में निरन्तर लेखन।स्तरीय काव्य में अभिरुचि।जिंदगी इधर है शीर्षक से अब तक 5000 कॉलम डिजिटल प्लेट फॉर्म के लिए लिखे।

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