मचेगी धूम खुल कर के यहाँ इस बार होली में
कि बाहों में जो आयेंगे मेरे सरकार होली में
जो मेरे रूबरू होंगे मेरे दिलदार होली में
यक़ीनन जम के होगी रंगों की बौछार होली में
लगेगा मस्तियों का बा ग़ज़ब अंबार होली में
पियेंगे भंग के प्याले भी हम दो चार होली में
जमेंगी महफ़िलें शेर-ओ-सुख़न की हर तरफ़ देखो
न होगा ख़ुशियों का कोई भी पारावार होली में
सनम हम बज्म में तेरी समझ नज़राना-ए-उल्फ़त
कि दिल कदमों में रख देंगे तेरे इस बार होली में
खिलायेंगे तुम्हें गुझिया नमकपारा हरी बरफी
पिलायेंगे जी ठंडाई लगा कर धार होली में
बजेंगे चंग ढोलक ढपली हरमुनियम औ मंजीरे
गवैये राज गायेंगे फाग मल्हार होली में
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