आया बसंत झूम कर देखो,
तरु नव पलल्व लगे है पाने ।
दिनकर को फिर तेज मिल गया,
अब शीत को लगे है हराने ।।
आई गेहूं की फसल मतवाली।
देख कृषक आनंदित होता,
इस आनंद की बात निराली ।।
झर झर झरने बहने लगे,
कल कल है नदियां गाती ।
प्रकृति ने दिए वरदान कई,
इन पर है धरा इतराती ।।
फाग का मौसम आने वाला,
दिल में उल्लास जगाने वाला ।
पीला_नीला _हरा_लाल,
गुलाल सबको महकाने वाला।।
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