आया बसंत झूम कर

आया बसंत झूम कर देखो,

तरु नव पलल्व लगे है पाने ।

दिनकर को फिर तेज मिल गया,

अब शीत को लगे है हराने ।।

सरसों के फूलों से खेत सजे,

आई गेहूं की फसल मतवाली।

देख कृषक आनंदित होता,

इस आनंद की बात निराली ।।

झर झर झरने बहने लगे,

कल कल है नदियां गाती ।

प्रकृति ने दिए वरदान कई,

इन पर है धरा इतराती ।।

फाग का मौसम आने वाला,

दिल में उल्लास जगाने वाला ।

पीला_नीला _हरा_लाल,

गुलाल सबको महकाने वाला।।

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रचनाकार

Author

  • अनूप अंबर

    नाम : अनूप अंबर जन्म तिथि:01जनवरी 1991 पिता का नाम:राजेश कुमार पता: फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेशइनके नौ साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, पच्चीस अर्थलोगी प्रकाशित हो चुकी है, विभिन्न मंचों से 150 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त है, इनकी विभिन्न रचनाएं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है,ये कई साहित्य पटलों पर सक्रिय है ।। Copyright@अनूप अंबर / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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