आज महफिल दिलों की सजा लीजिए
अपने दिल की उदासी मिटा दीजिए
कोई गम ना रहे अब किसी बात का
आज जी भर के तुम मुस्कुरा लीजिए
कोई साथी मिला ना तो गम न करो
मुझको ही अपना साथी बना लीजिए
क्यों भटकता रहा आज तक दरबदर
मेरे दिल में ठिकाना बना लीजिए
कब तलक ऐसे गुमसुम से बैठोगे तुम
हंस के चेहरे की रौनक बढ़ा दीजिए
ये निराशा जो मन में है तेरे भरी
आशा के दीप से जगमगा दीजिए
तुमको देखा तो नजरे ये कहने लगी
आज कोई चमन में नया गुल खिला
प्रेम को ही बसा कर के दिल में सदा
नफरतो की घटाएं घटा दीजिए
आज काली घटा का है पहरा पड़ा
चांद मुखड़े का अपने दिखा दीजिए
देख लूं तेरा रोशन सा चेहरा अभी
फिर तो चिलमन को चाहे गिरा लीजिए
तेरे चेहरे पे कोई शिकन ना रहे
अपने मन से ही तू फैसला लीजिए
कोई शिकवा गिला या शिकायत नहीं
चाहे जिसको तू अपना बना लीजिए
आज महफिल दिलों की तो फिर सज गई
अपने दिल की उदासी मिटा दीजिए
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