खून के बदले आजादी की,
कीमत सबने चुकाई थी ।
हंसते हुए सूली पे चढ़े,
सीने पर गोली खाई थी ।।
रक्त की धार बहाई थी ।
बच्चे बूढ़े महिला पुरुष,
सबने जान गवाई थी ।।
उनके बलिदानों के दम पर,
हमने ये पुण्य आजादी पाई थी ।।
आजाद हिन्द की सेना में,
तब आई नई तरुनाई थी ।
गोरों छोड़ो अब देश हमारा,
हर तरफ से आवाजें आई थी ।।
जय हिन्द के नारों से,
ये संपूर्ण धरा थर्रायी थी ।।
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