आंतरिक शक्ति

बाहर से टूट भले जाओ पर अंदर से मजबूत रहो
बल पौरूष कुछ घट जाए पर दिल इच्छा बलवान रहो
टूट गये जो अंदर से तो बचा कोई नहीं पाएगा
कितना भी सहारा बने कोई पर संभल कभी ना पाएगा
अंदर से तुम मत टूटे साहस को ही दिखलाओ
अपने जीवन की नौका को पार हमेशा कर जाओ
समय की मार से टूट गए पर दिल से गर ना टूटोगे
बिगाड़ कोई न सकता तेरा हर दम ही मजबूत रहोगे
साहस करके दिल अपना मजबूत यहां जो करते हैं
विपरीत परिस्थिति आने पर भी धैर्य यहां पर धरते हैं
धैर्य पूर्वक रहे यहां जो हरदम ओ मजबूत हुए हैं
देख के बाधा जो विचलित हो ओ हरदम कमजोर हुए हैं

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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