अभी तो शाम बाकी है जरा सूरज ये ढलने दो
चले जाना कहाँ रोका है चंदा तो निकलने दो
नहीं रोको नहीं मुझको मैं तो मस्ती मे आया हू
मचलते हैं मिरे अरमान उनको भी मचलने दो
तुम्हारी आज फिर मुझको ए साकी याद आती है
गिरा चौखट पे हूँ जना न मुझको अब सम्हलने दो
अभी आये हो मेरे पास और जाने की कहते हो
भरो ये जाम तुम और आज की ये शाम ढलने दो
मुझे मदहोश कर डालो सनम आगोश में ले कर
गिरा दो जुल्फों का साया मेरी दुनिया बदलने दो
नहीं ग़म आज है कोई भले ही दम निकल जाये
पिघलती शम्आ है तो क्या उसे यूँ ही पिघलने दो
गर उठा सकते हो हमदम उठा दो प्यार का तूफाँ
न रोको प्यार की आँधी इसे तुम *राज* चलने दो
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