हिज्रे तन्हाई शब गुजारी है।
आ भी जाओ के अब तैयारी है।
शुक्रिया कहूं तो मैं कैसै कहूं,
दिल तो पहली नज़र में दे बैठे,,
जान भी ले लो, ये तुम्हारी है।।
जीने देती नहीं न मरने दे,
जाने कैसी मुझे बीमारी है।।
खेल बच्चों का न समझना इसे
इश्क में शेष खाक़सारी है।।
दीया जलाना बड़ी बात नहीं,
हवाओं की भी पहरेदारी है।।
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