अब हमारे इश्क़ के ,खाली खज़ाने हो गए
अब नहीं चलते हैं ,सिक्के जो पुराने हो गए
जो हमें देखा किये सड़कों पे मुड़ मुड़ के कभी
उन हसीं चहरों को देखे अब ज़माने हो गए
जब नदीं बहतीं लबालब प्यास का क्या काम था
अब नदी के होठ भी सूखे मुहाने हो गए
अब कोई खिलता नहीं है गुल मेरे गुलदान में
कोठियों को देखकर गुलशन विराने हो गए
अब हसीं चेहरे तो हैं, पर बेबफाई हैं भरी
चार दिन मुश्किल से अब रिश्ते निभाने हो गए
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