अपने हौसलों से उड़ान भर लूंगा

कीमती अश्क कभी आंख से जो छलकेगा
डूब कर भाव में दिल से सदा नहा लूंगा
बिखेर करके खुशबू रात सजा शबनम की
जला के दीप प्रेम दिल उजाला कर लूंगा
हार जाएगी हवा जल रहे चिरागों से
गमों में रहकर भी मुस्कान दिल में भर लूंगा
भले ही लहर भंवर या की तूफान आए
मान करके चुनौती नाव पार कर लूंगा
दिल से बिखरेगा ना विश्वास का परिंदा कभी
हौसलों से ही अपनी मैं उड़ान भर लूंगा
चाद उतरेगा कभी तो झील के पानी में
खिला के दिल का कमल रंग उसमें भर दूंगा
सदा ही हार जाएगी खिजा बहारों से
बदल के रुख को नया रंग मै खिला दूंगा
कभी जो देगा दस्तक उम्र का दरवाजा मुझे
कर्म की धार देकर के उसे सजा दूंगा

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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