अपनेन बूते मंगलसूत(अवधी कविता)

आगे बढिगा ढेरि जबाना

अंगुरी आजी बाबक् छूट

अम्मा बप्पक कहेम चलत हैं

कहां बताओ बिटिया पूत

अंगरेजी कै यहै पढाई

परमपरा का लइगै लूट

निरहेक् बिटिया इ करतूत

अपनेन बूते मंगलसूत

अपनेन् बूते………..

अस नरमी कानून कै बाटै

जे कुछु कहयि ते जेलिउ काटै

डरत डरत तौ तनिका डांटै

कहि डारयिं कब काव सपाटै

पेटि काटि कै फीस चूकावौ

पी पी रहउ खून कै घूंट

अपनेन् बूते मंगलसूत

अपनेन बूते………………

खान दान कै इज्जत गुवडैं

घर परुवार छिनैं मा छुवडैं

छुवट बड़ा न तनिकौ जुवरैं

जानैं कहां जाय मुंह बुवरैं

कनियम् लयि लयि सपन सजावो

अवधी जाय छिनैं मा टूट

निरहेक् बिटिया इ करतूत

अपनेन बूते मंगलसूत

अपनेन बूते…………….

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रचनाकार

Author

  • संजय श्रीवास्तव अवधी

    प्रसिद्ध नाम-संजय अवधी, पिता-दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव, लेखन विधा- गीत और कविता, प्रथम काव्य प्रस्तुति- ऑल इंडिया रेडियो, गीतकार के रूप में उपलब्धि- विश्व स्तरीय म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के लिए गीत लेखन, प्रारंभिक लेखन- श्री महेश्वरी सेवक मासिक पत्रिका, प्रतिष्ठित समाचार-पत्रदैनिक जागरण से. विशेष उपलब्धि- रजत जयंती सम्मान अवध भारती सम्मान तथा अवधी तुलसी सम्मान 2021 अवध भारती संस्थान द्वारा प्राप्त एवं अन्य संस्थानों द्वारा सम्मानित. आने वाली प्रथम अवधी पुस्तक- 'भोली चिरैया' उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा. संस्थापक- अवध सीरीज अवधी लोककला विस्तार मंच लल्लू पुरवा,इटरौर. निर्माता निर्देशक- अवध सीरीज. उद्देश्य- विलुप्त होती अवधी संस्कृति, अवधी लोककला विरासत को ग्रामीण आयोजन के माध्यम से आगे बढ़ाना. पता-लल्लू पुरवा, इटरौर, मनकापुर, गोंडा,Copyright@संजय श्रीवास्तव अवधी/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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