अपनी भाषा में प्यार

जइसन फोन बजा राती मा,

हम आंखी मिजआवै लागे।

नाम तोहार देखतै मान,

इयरफोन हम ढूढ़ै लागे।।

बिस्तर तौ छोड़ा, बिस्तर के नीचे आय गये।

रात अंधेरे मा, खाय भरे का पाय गये।।

फिर का नाक मुंह हम सुहरावै लागे…

बिस्तर से गिरतै, घर मा हमरे सब जाग गयेन।

देखतै देखतै पापा, हमरे कमरे मा आय गयेन।

फोन अभे तोहार बजतै रहा,

ई देख के तुरंतै, पापा हमका लतिआय गयेन।

मनै मन अब हम तुहका गरिआवै लागै…

होत सबेर पापा हमरे, पेशी पे हमका बोलाय लेहेन।

चाय नाश्ता तौ मिला नहीं, सबके आगे झरिआय देहेन।

देखतै देखतै हम झूठै बहाना बनावै लागै….

रात अंधेरे मा हमका लतिआय गया

होत सबेर पापा तू, झरिआय देहा।

एयरटेल वाली लड़की रात का फोन करिस,

बिन जाने बिन सोचे, हमका लतिआय गया….

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रचनाकार

Author

  • रंजीत गुप्ता "राही"

    रंजीत गुप्ता "राही" कवि, शायर,ज्ञानार्थी, शिक्षक। प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश। फोन-9170493847 Copyright@रंजीत गुप्ता "राही"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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