अजनबी भी अपना हो सकता है

अजनबी भी अपना हो सकता है

अपनों में बेगाना खो सकता है

दूरियों का माने मिलने वालों से पूछो

फासलों से दिल का कोना रो सकता है

मिट गए जो मर मीटे हैँ तुम पर कहते थे

मतलब परस्त से हर एक को धोखा हो सकता है

तुमने बहुत सिद्दत से चाहा था जिसे

उसकी चाहत का अंजाम जुदा हो सकता है

अंजामे इश्क में जो इम्तहान लेने निकले

बिना खंजर इम्तहान से कत्ल हो सकता है

अजनबी भी अपना हो सकता है

अपनों में बेगाना खो सकता है

रूठने मनाने तक तो हुस्न का गुरुर ठीक है

रुसवा किया तो हमेशा को खफा हो सकता है

समंदर को बारिश का ख़ौफ़ दिखाने वालों

दरिया का पानी बारिश के इंतजार में खो सकता है

तेरे आँखों के पानी के बड़े चर्चे मिले हैँ

आँखों का पानी कब इंसान से जुदा हो सकता है

पूछने को बहुत कुछ था तुझसे

बिन पूछे तू बता दे इश्क खुदा हो सकता है

हस्ती तेरी हो या मेरी हो हस्ती तो है

हर हस्ती का फ़क्त अंदाज जुदा हो सकता है

अजनबी भी अपना……….

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रचनाकार

Author

  • विष्णु "सरहदे"

    पता :शॉप नंबर 6 "A" मार्किट,सेक्टर 4, भिलाई, पिन -490001. दुर्ग, छत्तीसगढ़, फ़ोन-7828112047. Copyright@विष्णु "सरहदे"/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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