जब हिंदू मुस्लिम सदा एक है सबमे बसा ईमान
पनप रहा है बीज द्वेष का कहां से हिंदुस्तान
यही तो पूछ रहा हूं
कहां से चलते ईट और पत्थर कहां चले हथियार
देश प्रेम ही भरा जो सब में करता कौन है घात
यही तो पूछ रहा हूं
पाक साफ सब बने यहां पर दिल में हिंदुस्तान
फिर कौन निकम्मे करते हैं इस भारत को बर्बाद
यही तो पूछ रहा हूं
मंदिर रखी थाल पूजा की मस्जिद वजू का लोटा
मजहब में ही रंगे यहां सब लगा धर्म का टोटा
कहां मिले लड्डू की जगह पर पत्थर का प्रसाद
यही तो पूछ रहा हूं
देशद्रोह जो करेगे वो सम्मान कभी ना पायेगे
भले राम के भक्त विभीषण मगर न पूजे जायेगे
खड़ा हुआ बुलडोजर कहता किसकी बारी आज
यही तो पूछ रहा हू
कैसे कह दूं सोना उनको जो लोहे की भांति
शत प्रतिशत जो खरा न उतरे शुद्ध कहूं किस भांति
कौन यहां पर पाल रहा है अवसर का उन्माद
यही तो पूछ रहा हूं
देश प्रेम सबसे ऊपर इसको ही मजहब मानो
सत्य झूठ का ज्ञान करें और सत्य सदा अपनाएं
कब होगा ऐसा तुम बोलो मेरा हिंदुस्तान
यही तो पूछ रहा है
शुष्क ह्रिदय की धरती पर कब तक नफरत के बीज उगेंगे
अंधकार से भरे दिलों में कब प्रकाश के दीप जलेगे
कब करेंगे जगमग मंदिर मस्जिद अल्लाह और भगवान
यही तो पूछ रहा हूं
रचनाकार
Author
गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |