पुष्प पत्र सम मुस्काती है,
दिल को वो बहलाती है।
प्रेम कवि हूं मैं,
जहां भी जाए,अदा दिखाए
अदा दिखा के ,
सबको अपना वो बनाती है।
पुष्प पत्र सम मुस्काती है……
राह चलती है जब
समां बंधती है तब।
राम कसम वो,
हर दिल को अज़ीज़ कर जाती है।
सुनो ना, प्लीज़ ये काम कर दो ना।
सारे काम हमसे वो करवाती है
ख्वाब तोड़ के सारे,
हैप्पी “रक्षाबंधन भइया ” कह जाती है।
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