बतियाती हैं अक्सर तुम्हारी यादें,
कहती हैं, फिर इश्क़ करना है मुझे ll
सोचता हूँ डरता हूँ फिर तन्हाईयों से
कैसे अब खुद से लड़ना है मुझे ll
तुम और हम अब मिल नहीं सकते,
ये सच्चा ख़्वाब समझना है मुझे l
यूँ तो लहरें उठती हैं, आह के साथ,
तेरी चौखट से खाली लौटना है मुझे ll
हर दुआ लौट आई, जिनमें माँगा था तुम्हें,
हो भरोसा अब खुदा पर, सीखना है मुझे l
बेसर सब हो गई, जोड़ी सलामत की दुआ ,
ख़ाक में हर शख्स की दुआ को मिलाना है मुझे
फिर भी यादों में सही ही, मेरे सिर्फ मेरे हो तुम
यादों में तेरी अब ,सिर्फ होना है मुझे ll
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