प्रेम
मौसम का फिजा यू बदलने लगा
ना तुम होश में थे ना मैं होश में लगा
देखा जिस ने उसी ने कहा
ये कौन सा नशा ,चढ़ने लगा
कैसे मैं बताऊं ,क्या पाया हमने
देखा तुम्हें तो बहकने लगा
इरादा ना ,था संवरने लगा
चाहत तेरा यू रहने लगा
सूरत तेरी ,मैं दिल में बसा
खुद ही खुद में रहने लगा
ना चित की थी जुस्तजू
आरजू तेरी दिल में पलने लगा
मौसम का फिजा यू बदलने लगा
ना तुम होश में थे ना मैं होश में लगा
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