झूमती फूलों भरी डाली लिखें

झूमती फूलों भरी डाली लिखें

हर शजर के लिए हरियाली लिखें ।

सूर्य-किरणों के लिए सादर नमन

अमरबेलों के लिए गाली लिखें ।

रू-ब-रू है मुफलिसी फिर किस तरह

गाल गोरे, जुल्फ़ घुँघराली लिखें ?

जेठ जलता, तप रहे हैं भू-गगन

सजल सावन की घटा काली लिखें ।

नागफणियों का चलन अच्छा नहीं

आइए, कचनार , शेफाली लिखें ।

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

Total View
error: Content is protected !!