एक तमन्ना मर गई , होते होते शाम ।
तड़प तड़प कर आ गया , इस दिल को आराम ।
चटकी कली गुलाब की , हँसी ओंठ की कोर ।
फिर शरमाई द्वार पर , उजली उजली भोर ।
आज खिली आकाश में , सर्द श्यामला भोर ।
मेघों पर ना चल सका , आज सूर्य का ज़ोर ।
मन मेघों को चाहता , तन को भाए धूप ।
प्रियतम सा लगने लगा , आज भोर का रूप ।
झरने उतरे भोर के , जब आंगन के बीच ।
याद तुम्हारी भीगती , मन में आंखें मींच ।
जाने कितनी धड़कनें , जाने कितनी श्वांस ।
जाने कब इस रूह से , निकले तन की फांस ।
करुणा ममता प्रार्थना , सब नारी के नाम ।
जननी बहना प्रियतमा , को मेरा परनाम ।
बोझा ढोते पाप का , ये धरती औ नार ।
पुण्य सहेजे गर्भ में , रचे नया संसार ।
चुभी ह्रदय के बीच में , इक रेशमिया फांस ।
मन महके गुलदान सा , चंदन चंदन सांस ।
अभी हुआ मन बाबरा , अभी हुआ बेचैन ।
अभी हाल एहसास में , चुभे कटीले नैन ।
प्रीत जगी पीड़ा जगी , मन में उठी हिलोर ।
फिर छिटकी आकाश में , सजल बुंदीली भोर ।