एक ऐसा घर बन जाए मेरा
जिसमें सब का ठिकाना हो
एक तरफ दुकान हो मेरी
सामने मेरे शिवाला हो
प्रेम मिले सबका ही मुझको
अहंकार ना उपजा हो
कभी बंद ना हो पट जिसका
सदा खुला ही द्वारा हो
जो भी आए घर पर मेरे
जान से भी वह प्यारा हो
हरदम पास रहे मेरे
फिर दूर कभी ना जाना हो
सुख दुख मै सबका समझू
सब से मेरा रिश्ता हो
सहयोग करू मैं नित ही सबका
अपना या बेगाना हो
संतोष मिले दिल को मेरे
मन में लालच कपट ना हो
मिट्टी का ही घर हो लेकिन
चैन से जिसमें सोना हो
सदा पास ही रहूं मैं शिव के
शिव से मेरा नाता हो
शिव पर करके पूरा भरोसा
होता मेरा गुजारा हो
जिस घर में सदा वास हो शिव का
वही पे मेरा ठिकाना हो
शरण में शिव के रहकर जीवन
सदा ही अपना बिताना हो
रोज बसंती पवन चले
चारों ओर खुशी का नजारा हो
जिधर भी देखू शिव ही शिव का
चारों ओर नजारा हो
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