चाँदनी के लिए
तीरगी-तीरगी बढ़ रहे ये क़दम चार पल की मधुर चाँदनी के लिए । दरमियाँ दो दिलों के बहुत फासला छू रही है शिखर छल-कपट की
तीरगी-तीरगी बढ़ रहे ये क़दम चार पल की मधुर चाँदनी के लिए । दरमियाँ दो दिलों के बहुत फासला छू रही है शिखर छल-कपट की
सर्द आहों से क्या भला होगा ये भरम है कि जलजला होगा ओढ़ कर छाँह सो रहा राही दूर तक धूप में चला होगा फूँक
किसको फ़ुर्सत पढ़े-सुनेगा ? फिर भी लिखना है,गाना है ! ख़ुदगर्जी की होड़ मची है मतलब के सब नाते हैं मन में कपट और कटुताएँ
ताली बजा रहा है कोई कोई बैठ हाथ मलता है हर्ष-विषाद समन्वित जीवन ऐसे ही अबाध चलता है ! स्नेह-स्वांग सब हैं दिखलाते लाभ-लोभ के
माँगना न गीत अब गुलाब के ज़िंदगी की हर तरफ बबूल ! सुबह-शाम पेट का सवाल है बतिआयें प्यार, यार!किस तरह? पतझरी उदासी है रू-ब-रू
जब हवाओं में है आग की-सी लहर देखिए, खिल रहे किस क़दर गुलमोहर ! हौसले की बुलन्दी न कम हो कभी आदमी के लिए ही
देखा है उन्हें उदास मैंनेहताश नहींथकते देखा हैटूटते नहीं बाढ़ बहा ले जाती हैख़ून-पसीने से उगायी फसलझुलसा देता है सूखाहरिआयी रबी जबदेखा है उन्हें गंभीर,ग़मगीन
क्रान्ति-वेला की ललित ललकार है तुलसी शारदा की बीन की झंकार है तुलसी । शील में देवापगा की लहर की मानिन्द शक्ति में गर्जित जलधि
बटोही जैसे जुगाता है गठरी चिड़िया अंडा जुगाती है जुगाये हमने बीज बोया-लगाया खेतों में कि लहलहायेगी फसल बालियाँ खनकेंगी खिलखिला उठेगा खलिहान फ़कत बीज
बुद्धि के दुर्गम किले में/ कैद भोली भावना है/ कंटकों की कचहरी में /फूल फरियादी बना है ! ज़िन्दगी का अर्थ — केवल अर्थ-संचय, त्याग