पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

कविता

मजदूर दिवस

मैएकइंसानआप जैसामेरे दिल मेंभी तो पलता हैअरमान आप सामहनती भी हू मैवफा दार भी हूँकाम के प्रतिमजदूरही हूँ मैसच्चाजी मैंएकजीवटश्रमजीवीअपने बूतेपोषित करताअपना परिवारतकलीफ से सहीपर

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गज़ल

ग़ज़ल:-अगरचे हौसला . मिट जायेगा

कर्म करने का अगरचे हौसला . मिट जायेगाकामयाबी का तो समझो फ़लसफ़ा मिट जायेगा सोच से जब प्यार औ दिल से ख़ुदा मिट जायेगाइंसानियत हैवानित

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गज़ल

ग़ज़ल:-मुहब्बत आजमाना चाहता है

मुहब्बत आजमाना चाहता हैये दिल पक्का ठिकाना चाहता है किसी की झील सी आँखों में जा केमेरा दिल डूब जाना चाहता है गया हैं तोड़

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कविता

बाट

अहले सुबह हीउठती हूँ मैंतुम्हारे संग – साथकी ख्वाहिश लिए….कितुम उठोगे तो चलोगेमेरे संगसुबह की सैर पर!जो हो गई देरतोपी लोगे साथ बैठसुबह की चाय

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कविता

फागुन (दो छन्द)

भंग की तरंग में उमंग इठलाय रही सा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहीं

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दोहा

होली (दोहा)

होली के त्यौहार की, पौराणिक पहचान। महा भक्त प्रह्लाद की, कथा उचित उनवान।। श्रीहरि का वह भक्त था, निर्मल और विशुद्ध। हिरण्यकश्यप हो गया, स्वयं

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गीत

होली – गीत (सरसी छंदाधारित)

होली का ये मास सुहाना, लगा गुलाबी रंग।पीकर झूम रहे हैं देखो, नशा चढ़ा जब भंग॥ होली में बहका सजना तब, झूमें गाते फाग।उमड़ रहा

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