पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

कविता

बाट

अहले सुबह हीउठती हूँ मैंतुम्हारे संग – साथकी ख्वाहिश लिए….कितुम उठोगे तो चलोगेमेरे संगसुबह की सैर पर!जो हो गई देरतोपी लोगे साथ बैठसुबह की चाय

विस्तार से पढ़ें »
कविता

फागुन (दो छन्द)

भंग की तरंग में उमंग इठलाय रही सा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहीं

विस्तार से पढ़ें »
दोहा

होली (दोहा)

होली के त्यौहार की, पौराणिक पहचान। महा भक्त प्रह्लाद की, कथा उचित उनवान।। श्रीहरि का वह भक्त था, निर्मल और विशुद्ध। हिरण्यकश्यप हो गया, स्वयं

विस्तार से पढ़ें »
गीत

होली – गीत (सरसी छंदाधारित)

होली का ये मास सुहाना, लगा गुलाबी रंग।पीकर झूम रहे हैं देखो, नशा चढ़ा जब भंग॥ होली में बहका सजना तब, झूमें गाते फाग।उमड़ रहा

विस्तार से पढ़ें »
पद्य-रचनाएँ

तकरार होली में

सुनाऊँ क्या तुम्हें किस्सा किया तकरार होली में ।उठाया हाथ में बेलन पड़ी थी मार होली में ।पड़ोसन पर फिदा था वो सनम मेरा सलोना

विस्तार से पढ़ें »
दोहा

होली पर दोहे-रजनीगंधा की महक

रजनीगंधा की महक, हृद में लगती आग। राधा, कान्हा के बिना, कैसे खेले फाग॥1॥ तन – मन में कान्हा बसा, मनहर लगता फाग। श्याम हृदय

विस्तार से पढ़ें »
गज़ल

इस  बार  होली  में

मचेगी धूम  खुल कर  के  यहाँ  इस  बार  होली  में कि  बाहों  में   जो  आयेंगे  मेरे  सरकार  होली   में जो  मेरे  रूबरू   होंगे    मेरे    दिलदार 

विस्तार से पढ़ें »
कविता

बसंत पंचमी

बसंत पंचमी आई है खुशियों की लहरे छायी है इस दिन अवतरित हुई मां सरस्वती कहते है कला, विद्या की देवी मौसम भी है खुश

विस्तार से पढ़ें »
Total View
error: Content is protected !!