ज़ब दिल दिल से मिलता है
बहुत होता सुकूँ तब है कि ज़ब दिल दिल से मिलता हैअदब का हर नज़ारा तब तिरी महफ़िल से मिलता है तिरे पे मर मिटा
बहुत होता सुकूँ तब है कि ज़ब दिल दिल से मिलता हैअदब का हर नज़ारा तब तिरी महफ़िल से मिलता है तिरे पे मर मिटा
कर्म करने का अगरचे हौसला मिट जायेगाकामयाबी का तो समझो फ़लसफ़ा मिट जायेगा सोच से जब प्यार औ दिल से ख़ुदा मिट जायेगाइंसानियत हैवानित का
मुहब्बत आजमाना चाहता हैये दिल पक्का ठिकाना चाहता है किसी की झील सी आँखों में जा केमेरा दिल डूब जाना चाहता है गया हैं तोड़
दुआओं से झोली भरकर जब जीवन मुस्कुराता है।सारी बलाएं टल जाती पतझड़ सावन बन जाता है।पतझड़ सावन बन जाता है रोज शिवालय शिव की पूजा
यादों के आईनों में रह जाते हैं ।जाने वाले आंखों में रह जाते हैं । ख़ुशबू बन कर उड़ते हैं फिर बाग़ों में ।तितली के
एक ग़ज़ल मेरे ताज़ा संग्रह ” क्या मुश्किल है ” से ….. सामने बैठी रहो तुम इक ग़ज़ल हो जाएगी ।ज़िन्दगी मेरी यक़ीनन अब सफल
ये रंगीन कागज़ के रिश्ते सम्हालो ।तुम अपनी वफ़ाओं के तिनके सम्हालो । महकने से पहले कहीं झर न जायें ।मुहब्बत के मासूम गुंचे सम्हालो
हम से मुँह फेर कर चाँदनी जा चुकी ।जी रहे हैं मगर ज़िन्दगी जा चुकी । फूल सारे चमन के उसे दे दिए ।इन हवाओं
इसी तस्वीर के कदमों में दिल रख दूं ,अगर कह दो ।तुम्हे अपनी मुहब्बत का ख़ुदा मानूं , अगर कह दो । तराशे लब, हसीं
जीवन पुष्पों की पंखुड़ी जैसी नहीं होती,यंत्रणा देने वाली कांटे, चुभती रहती है।मृत्यु की सेज में जो जाना भी चाहों,न जाने क्यों, ज़िंदगी और लंबी