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चॉक का टुकड़ा (संस्मरण )
बात उस समय की है ,जब मैं पांचवी कक्षा में पढ़ती थी। बचपन से ही चॉक के प्रति मेरे मन में विशेष आकर्षण रहा है
बात उस समय की है ,जब मैं पांचवी कक्षा में पढ़ती थी। बचपन से ही चॉक के प्रति मेरे मन में विशेष आकर्षण रहा है
मां मैं बाजार रंग लेने जा रही हूं अरे परी मत जा देख ना कितना हुडदंग हो रहा है होली का इस समय अकेले जाना
पात्र-1.मां 2. बेटा (घर का दृश्य है। समान बिखरा पड़ा है।एक महिला अपने घर में झाडू लगा रही है )
सदियों से चली आ रही पितृसत्ता के अंतर्गत स्त्री- जाति पुरुष के अधीन रही है। पुरुष ने सदैव स्त्री के जीवन से संबद्ध विभिन्न आयामों,
कोई भी उन्नत से उन्नत तकनीक शिक्षक की जगह नहीं ले सकती। शिक्षक का काम केवल पढ़ाना-लिखाना ही नहीं होता बल्कि बच्चे का चहुंमुखी विकास
किसी भी देश या प्रदेश के साहित्य के मूल में जनता की चित्तवृत्ति ही होती है। यह चित्तवृत्ति संस्कार, मूल्य तथा आस्था से युक्त होती
समाजवाद, राष्ट्र और चन्द्रशेखर – डाॅ. उमेश कुमार शर्मा समाजवादी विचारधारा ने जितनी अधिक हलचल वर्तमान शताब्दी में उत्पन्न की है, उतनी अन्य किसी भी
इस मोड़ से आगे(उपन्यास) लेखक : रमेश खत्री मंथन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित समीक्षक:- अतुल्य खरे साहित्य लेखन मात्र से भिन्न, साहित्य के प्रकाशन में भी
अँधेरे के खिलाफ़(काव्य संग्रह) कवि: राम पाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित समीक्षक:-अतुल्य खरे “खाबे हस्ती मिटे तो हमारी हस्ती हो , वरना
उपन्यास:- कॉफी विद कृष्ण लेखक : भरत गढ़वी FLYDREAMS पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित समीक्षक :- अतुल्य खरे युवा साहित्यकार भरत गढ़वी साहित्य के क्षेत्र में सद्य