गद्य–रचनाएँ

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गद्य–रचनाएँ

चिंता की छाँव में (नाटक)

पात्र: प्रथम दृश्य: घर का आँगन (मां चूल्हे के पास बैठी है, सूरज पास में बैठा है।) मां (थकी आवाज़ में): बेटा, प्रिया की शादी

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कहानी

नालायक बेटा

एक गाँव था, जहाँ एक मेहनती किसान, रामप्रसाद अपने चार बेटों के साथ रहता था। वह बचपन से अपने खेतों में पसीना बहाते हुए अपने

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आलेख

पहचान

  “पहचान” शब्द सुनते ही मन में सवाल उठता है – आखिर हमारी पहचान क्या है? क्या यह केवल हमारा नाम है, जो हमें दूसरों

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आलेख

 सीधा और सरल व्यक्तित्व होना भी एक चुनौती है

आज का विषय है कि क्या सीधा और सरल व्यक्तित्व होना भी एक चुनौती है। मेरा जवाब है; हाँ। प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव भिन्न भिन्न

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आलेख

नशा

नशा किसी भी प्रकार का हो, व्यक्ति के विनाश का कारण बनाता है। आज समाज में नशा करने के समान बहुत आसानी से मिल जाते

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आलेख

खुद सा होना

  खलील जिब्रान कहता है- कुछ वर्ष पहले की बात है। मैं एक पागलखाने के बगीचे में टहल रहा था। टहलते हुए मेरी मुलाकात एक

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