
पाके आज इतराई होगी
जिंदगी आज कितनी सजी होगीबाद मुद्दत के जब मिली होगीदिल में उठा होगा तूफान नयाखुद संभाले नहीं सभली होगीप्यार जैसे ही उसका मिला होगाकली पुष्प
जिंदगी आज कितनी सजी होगीबाद मुद्दत के जब मिली होगीदिल में उठा होगा तूफान नयाखुद संभाले नहीं सभली होगीप्यार जैसे ही उसका मिला होगाकली पुष्प
जमी पर चांद उतरेगा फलक से तारे तोडेगेबनाया झील सा बिस्तर जमाने प्यार के थे ओखूबसूरत अंकुरित था बीज दिल में जो पलाप्यार में जो
जब से मुझसे बिछड़ गए तुम याद बहुत ही आती हैदिल में उपजा भाव विरह की अग्नि हृदय को जलाती हैदर्द छुपा है दिल में
ओ लौट आए हैं मेरे दिल मेंजो कहते तुझ में वफा नहीं हैपलट के मैंने भी कह दिया अबदिलों में मेरे जगह नहीं हैबसा लिया
जिंदगी एक उलझा हुआ ख्वाब हैकब ओ क्या देखले कुछ पता ही नहीजो हुआ ना कभी भी दिवास्वप्न मेंरात में कैसे आया पता ही नही
नास्तिकता यू ही नही उभरती हैजब अंग–अंग छलती हैजब अंग–अंग तड़पती हैजब अन्याय के आगे आसमान असहाय हो जाता है !जब निश्चल पवित्र मन परईश्वर
सावन मा धरती महरानी सजि धजि छम छम बाजत हीं राति गगन जब उवै अंजोरिया दुलहिन जयिसै लागत हीं कुलि वरि घनी हरियरी छायी नदिया
यूं लिबास मुझसे उतारा नहीं गया,हर ज़ख्म मुझसे मेरा दिखाया नहीं गया । होठों पे दुःख के राग सभी गुनगुना गए,एक दर्द मुझसे मेरा सुनाया
ज़िंदगी की किताब के पन्ने,उड़ते हैं , फड़फड़ाते हैं ।कभी किसी स्थित परिस्थित में,फट जाते हैं , उखड़ जाते हैं । लेकिन किताब के हर
जल नही,कल की जिंदगी हैबचा लो जितनी उतनी ही जिंदगी है ।बूंद –बूंद तरसना पड़ेगाएक दिन पानी के खातिरकल सुहावन रहे बसयही तो जिंदगी है