कविता

Category: कविता

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श्री कृष्ण जन्म

हुआ जन्म था जेल में उनका नंद बबा ने पाला थासो गए पहरेदार वहां के खुला गेट का ताला थाकाली रात अंधेरी में तो जमुना

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ज्योतिर्मान है हिंदी

जगत की शान है हिंदी मेरा अभिमान है हिंदीहमारी मातृभाषा देश की पहचान है हिंदीहुआ है जन्म संस्कृत से संस्कृति की जो पोषक हैभरा जिसमें

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हर कर्म का श्री गणेश तुम्ही हो

सुत गौरी शिव शंकर शोभित रिद्धि सिद्धि साथ लिएबढ़कर मात पिता है जग में कहकर चारों ओर फिरेआज चतुर्थी जन्मदिवस की जो अनुपम बेला आईनिश

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नया एक गुल खिलाओ तो कभी जाने

मिलाकर नैनो से नैनाकरो बातें तो हम जानेना हो ओठो पे कंपनमौन दो उत्तर तो हम जानेसमझ कर मन की पीड़ा कोबहावो प्रेम की नदियांभरा

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पाके आज इतराई होगी

जिंदगी आज कितनी सजी होगीबाद मुद्दत के जब मिली होगीदिल में उठा होगा तूफान नयाखुद संभाले नहीं सभली होगीप्यार जैसे ही उसका मिला होगाकली पुष्प

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थे जमाने प्यार के

जमी पर चांद उतरेगा फलक से तारे तोडेगेबनाया झील सा बिस्तर जमाने प्यार के थे ओखूबसूरत अंकुरित था बीज दिल में जो पलाप्यार में जो

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