हिंदी

Category: हिंदी

खो गए हैं

खो गए हैं स्वार्थान्धकार में मानव की मानवता,पुरुषों का पुरुषार्थ औरत की पवित्रता,पापी का पश्चाताप प्रेम भाई के प्रति भाई का, पिता-प्रेम मानव का मानव-मात्र

विस्तार से पढ़ें »

निर्झर

देखो उस नदी को,निर्झर को नदी की नाद कल-कल, छल-छल निर्झर की झर-झर, झहर-झहर यह हास नहीं नदी-निर्झर की जीवन की भी यह शाश्वत है

विस्तार से पढ़ें »

जीवन की ओर

धारा चल जीवन की ओर जीवन की किसी मरुभूमि को कर सिंचित,चल जग की ओर धरा के उर्वर कितने कोने, मरू,नागफनी उगे परे हुए तू

विस्तार से पढ़ें »

प्रार्थना

पाप-अनल से घिरा हुआ जग, मनुज दुखी रोता है दया करो हे! जग-दुःख-त्राता, दास विनती करता है कृपासिंधु तुम! बूंद कृपा की, जीवन पर बरसा

विस्तार से पढ़ें »
कविता

भूल गया अब याद नहीं

भूल गया अब याद नहीं कुछ मानव को जीवन में अर्थ-अर्थ की दौड़ लगी है जीवन के प्रांगण में भूल रहा मानव मानवता अर्थ-स्वार्थ-चिंतन में

विस्तार से पढ़ें »

जाग मनुज अब

जाग मनुज अब हुआ सबेरा विहग-वृन्द ने तरु-वृंत पर निकल नीड़ से डाला डेरा नव-प्रभात की प्रथम किरण में खग-कुल ने मधु गान है छेड़ा

विस्तार से पढ़ें »
Total View
error: Content is protected !!