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अमृत

जहां जो भी उपलब्ध है, वहां वही अमृत। जैसे विस्तृत जगत में, सकल चराचर जीव ।।

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कविता

जीवन

सुख भी जीवन, दुःख भी जीवन सुख में जो हँसी, दुःख में क्रंदन सुख का श्रृंगार है – हास-विलास सुख की शोभा- कामिनी-कंचन दुःख की

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