शेरो-शायरी व नज्म़

Category: शेरो-शायरी व नज्म़

पद्य-रचनाएँ

शायरी

क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूंछ कर,हाल वही है जो तुमने मेरा बना रखा है।। लिखना चाहता हूँ मैं भी कुछ गहरा सा, जिसे

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पद्य-रचनाएँ

झूम रहा संसार

लाल गुलाबी रंग है, झूम रहा संसार सूरज की किरण खुशियों की बहार चाँद की चांदनी अपनों का त्योहार शुभ हो आप सबको ये रंगों

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पद्य-रचनाएँ

शेर

इबादत रब की और सूरत यार की हो सजदा रब का और रस्म प्यार की हो आशिक़ों के मज़हब का क्या कहना ज़िक्र रब का

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पद्य-रचनाएँ

कुछ और(गज़लें)

इन आँखों को रुलाने का मज़ा कुछ और होता है, ख़ुदा से ख़ौफ़ खाने का मज़ा कुछ और होता है। हमारी ये ग़लत फ़हमी रुलाती

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पद्य-रचनाएँ

हुकूमत की गोद में

इन मुन्सिफ़ों की जेब में कितनी मलाई है, हैं दफ़्न सारे राज़ अदालत की गोद में। अब फ़ैसला कहाँ से मेरे हक़ में आएगा, इन्साफ़

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रिश्तों की बात हो।

जिस्मों के भीड़ में अब रिश्तों की बात हो, हैवानियत से मिलचुके अब  फरिश्तों की बात हो। मुहब्बते सरजमीं से कर   लाखों ही  मर-मिटे, अब

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