गद्य–रचनाएँ

Category: गद्य–रचनाएँ

आलेख

सन्ध्या-योग

योग एक प्राचीन भारतीय विद्या है। इसका मूल स्रोत वेदों में प्राप्त होता है, यथा- योगेयोगे तवस्तरं[१], स धीनां योगमिन्वति[२] एवं युज्यमानो वैश्वदेवो युक्तः प्रजापतिर्विमुक्तः

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गद्य–रचनाएँ

नारी एक रूप अनेक (संस्मरण)

जैसा कि हम सब जानते हैं कि एक नारी कई रिश्तों का निर्वाह करती है। पारिवारिक रिश्तों को छोड़कर यदि हम सामाजिक रिश्तों की बात

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आलेख

स्त्री- अस्मिता के सवाल और हिन्दी मीडिया

सदियों से चली आ रही पितृसत्ता के अंतर्गत स्त्री- जाति पुरुष के अधीन रही है। पुरुष ने सदैव स्त्री के जीवन से संबद्ध विभिन्न आयामों,

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आलेख

क्या कंप्यूटर शिक्षकों की जगह ले सकता है

कोई भी उन्नत से उन्नत तकनीक शिक्षक की जगह नहीं ले सकती। शिक्षक का काम केवल पढ़ाना-लिखाना ही नहीं होता बल्कि बच्चे का चहुंमुखी विकास

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आलेख

समसामयिक हिंदी कविता : विविध परिदृश्य

किसी भी देश या प्रदेश के साहित्य के मूल में जनता की चित्तवृत्ति ही होती है। यह चित्तवृत्ति संस्कार, मूल्य तथा आस्था से युक्त होती

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गद्य–रचनाएँ

समाजवाद, राष्ट्र और चन्द्रशेखर

समाजवाद, राष्ट्र और चन्द्रशेखर – डाॅ. उमेश कुमार शर्मा समाजवादी विचारधारा ने जितनी अधिक हलचल वर्तमान शताब्दी में उत्पन्न की है, उतनी अन्य किसी भी

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गद्य–रचनाएँ

समीक्षा:-इस मोड़ से आगे(उपन्यास)

इस मोड़ से आगे(उपन्यास) लेखक : रमेश खत्री मंथन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित समीक्षक:- अतुल्य खरे साहित्य लेखन मात्र से भिन्न, साहित्य के प्रकाशन में भी

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