गद्य–रचनाएँ
नारी एक रूप अनेक (संस्मरण)
जैसा कि हम सब जानते हैं कि एक नारी कई रिश्तों का निर्वाह करती है। पारिवारिक रिश्तों को छोड़कर यदि हम सामाजिक रिश्तों की बात
जैसा कि हम सब जानते हैं कि एक नारी कई रिश्तों का निर्वाह करती है। पारिवारिक रिश्तों को छोड़कर यदि हम सामाजिक रिश्तों की बात
बात उस समय की है ,जब मैं पांचवी कक्षा में पढ़ती थी। बचपन से ही चॉक के प्रति मेरे मन में विशेष आकर्षण रहा है
महान व्यक्तित्व के धनी बड़का पाँड़े को कौन नहीं जानता। पूरे तहसील में उनका नाम लेते ही अनायास ही लोगों के मुख से निकल जाता
बचपन से ही संकोची स्वभाव होने के कारण मैं अपने में ही खोया रहता था |लोगों के बीच में उठना बैठना बातें करना मेरे लिए