गिरिराज पांडे
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गिरिराज पांडे

गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

कोई अपना हो ना सका

हमने तो उसे निहारा रात दिनजिंदगी में कभी जो मिल ना सकामिल गया था जिंदगी में जो मुझेपाके उसको कभी खुश हो ना सकाजिंदगी भर

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जग की प्यास

प्यास जग की है बहुत कितना पियो बुझती नहींजो लगी है दिल में सबके आग वह बुझती नहींप्यास है जग को सुरा की मेघ से

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संघर्ष ही जीवन है

चिंता मत कर असफलता की मत पछताओ जीवन मेंजीवित रहना व्यर्थ है जब संघर्ष न हो इस जीवन मेंजीवन है दो दिन का मेला हंस

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जीने की राह

ना हम होंगे ना तुम होगे नहीं कोई गिला होगासिमटती याद का ही बस यहां पर सिलसिला होगाचलो हंस कर बिता ले जिंदगी को जो

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जिंदगी की शाम

जिस दिन जिंदगी की शाम हो जाएगीसब रोते ही रहेंगे कहीं खुशी ना नजर आएगीलगेगा सूना सूना सा ए सारा जमानाबहार की रुत भी खिजा

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आंखों का सागर

देखा मैंने सागर को जब तेरे इन दो नैनो मेंभाव मेरा तो भावुक होकर डूब गया तेरे नैनो मेसागर में क्या गहराई होगी जितना तेरे

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धन दौलत का अहंकार

धन दौलत का अहंकार पथभ्रष्ट तुझे कर जाएगाखून पसीने की मेहनत जब लूट किसी का जाएगाखून पसीने की दौलत को हडप अगर तुम जाओगेछीन कमाई

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सच को जब हमने समझा

सच को जब हमने समझा तब झूठा भी हमने समझादेख पराए धन को मैंने कभी नहीं अपना समझाजिसको जैसा देखा मैंने उसको मैंने वैसा समझादिमाग

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मां का आंचल

याद करो वह मां का आंचल पलते थे जिस आंचल मेंजब जब संकट आ जाता था बच जाता था आंचल मेंबचपन में जीवन दिखता था

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