झूमती फूलों भरी डाली लिखें
झूमती फूलों भरी डाली लिखें हर शजर के लिए हरियाली लिखें । सूर्य-किरणों के लिए सादर नमन अमरबेलों के लिए गाली लिखें । रू-ब-रू है
झूमती फूलों भरी डाली लिखें हर शजर के लिए हरियाली लिखें । सूर्य-किरणों के लिए सादर नमन अमरबेलों के लिए गाली लिखें । रू-ब-रू है
भूख झेलना भूख पर भाषण बेलना दो विपरीत बातें हैं बरखुरदार ! चाहे जितनी बार ‘ आग ‘ कहिए जीभ को आँच तक नहीं आती
ज़िन्दगी के इस सफ़र में धूप भी है- छाँह भी । कंटकों की सेज सोना ख़्वाब फूलों के संजोना मुस्कुराना आँसुओं में हर्ष में पलकें
हमक़दम, हमदम न होगा हौसला पर कम न होगा । तमतमाये तमस जितना उजाला मद्धम न होगा । बालिए विश्वास – दीपक संशयों का तम
अहं जब होकर तरल है ढुलक जाता अश्रु बनकर याद आती है तुम्हारी ओ प्रिये! जब कभी लगता है घिरने दिन में ही आँखों के
दर्द की परछाइयाँ भीड़ में है आदमी पर ढो रहा तनहाइयाँ घेरती हैं ज़िन्दगी को दर्द की परछाइयाँ ! वायदे ,नारे सुनहरे कब निभाएँगे जनाब
हम ग़ज़ल किसको सुनायें,बहुत हैं बहरे यहाँ होंठ पर ताले लगे हैं,साँस पर पहरे यहाँ ! सतह पर जो तैरता है मिल रहा मोती उसे
राह चलते या कहीं बाज़ार में पूछता है ख़ैरियत जब कोई परिचित भर आता है मन सोचता हूँ , खोल कर रख दूँ सभी गोपन-
खिलता है कहीं एक फूल कुंठित हो जाते हैं काँटे हजार जलता है कहीं एक दीप व्याकुल ढूँढता कोई कोना काँप उठता है अन्धकार कूकती
गीतों में भर-भर कर /जीवन-राग सुनाना है जो सोया मुँह फेर समय से /उसे जगाना है। सत्पथ पर ही चलकर हमको/मंज़िल तक जाना है बेशक