डॉ रवीन्द्र उपाध्याय
Picture of डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

चाँदी के फूल

हरसिंगार-टहनी पर चाँदी के फूल खिले जाने किन सुधियों में औचक ये होंठ हिले ! राहें थीं विजन-विजन थका-थका बोझिल मन ऐसे में , कैसे

Read More »

चिड़िया

क्या चाहती है चिड़िया ? चोंच भर दाना/आज़ाद उड़ानें हरी -भरी डाल पर तिनकों का छोटा-सा आशियाना चाहती है चिड़िया सघन कुंज/ फूले-फले वाटिका-बाग बालियों

Read More »

सुलगता अलाव

अधनंगे लोगों का वृत्त में जमाव ताप तनिक , धुआँ अधिक सुलगता अलाव । किस्सों – बुझौवलों से बने नहीं बात मालिक के सूद सरिस

Read More »

प्रकृति-पांचाली

कंबलों को तहियायें,समेटें रजाइयाँ मलयानिल मन्द-मन्द लेता अंगराइयाँ ! प्रकृति-पांचाली का पत्र-चीर है अछोर शिशिर बना दुःशासन – थक गयी कलाइयाँ । रूखी इन शाखों

Read More »

तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ आता है एक मौसम मेरे पास रंग-रूप-सुवास का मौसम तृप्ति-विश्वास का मौसम जीवन के गहरे स्वीकार-सत्कार का मौसम मौसम अछोर संवादों का मयूरपंखी

Read More »

इसको प्रनमन

पावन धरती यह बिहार की इसको प्रनमन ! वैशाली ने अखिल विश्व को नव गणतंत्र दिया है महावीर ने मानवता को अमृत मंत्र दिया है

Read More »

हाशिये हैं

सुर्खियाँ ढो रहीं वहशत प्रीत ख़ातिर हाशिये हैं मेमनों के मुखौटों में घूमते अब भेड़िये हैं ! चबाते नाकों चने जो नेकियों की राह चलते

Read More »

बाबू वीर कुँवर सिंह के प्रति

है समष्टि चेतना का नाम कुँवर सिंह आदमी की मुक्ति का पैगाम कुँवर सिंह पुत्र वही मातृ-क्षीर की रखे जो लाज मातृभूमि-भक्ति का परिणाम कुँवर

Read More »

काफिला

बुलबुले-सा बनता-मिटता जाएगा शिकवा-गिला टूटने पाये न अपने स्नेह का यह सिलसिला । व्यर्थ की बातों में बहकेंगे-बँटेंगे हम अगर ध्वस्त होगा किस तरह फिर

Read More »
Total View
error: Content is protected !!