न गुरूर हो पाये
मुझे किसी बात का न गुरूर हो पाये दयाल तेरे नाम का बस शुरू हो जाये न दुनिया की चाह है न चाहत है अमीरी
मुझे किसी बात का न गुरूर हो पाये दयाल तेरे नाम का बस शुरू हो जाये न दुनिया की चाह है न चाहत है अमीरी
धर्मराज के दरबार में जब तेरा हिसाब होगा तेरे गुनाहो का वहाँ किताब होगा अगर हाथ तुने पकड़ा न समर्थ गुरू का काल के देश
ये परिंदे सफर में हैं उड़ रहे ऊँची उड़ान इनमें कौन हिन्दु है बताओ कौन है रहमान बहे बयार प्रेम का न हो मिट्टी लहुलुहान
भाई मुझे भुल न जाना याद रखना पापा की थी परी बस याद रखना बचपन मेरा गुजरा कुछ यादे जुडे है कुछ खट्टे कुछ मीठे
चार पैसा कमाने शहर जो गया गांव मुझसे मेरा बे नजर हो गया बीता बचपन जवानी गई बारिश की बुंदे सुहानी गई आई न लोट
रहमत का असर है सवर जाता हुँ मै याद कर के देख लो नजर आता हुँ मै माँ के दुवाओ का ही असर है दोस्तो
हर दर पर सर झुके ये मुझे मंजूर नही है मेरे माँ से खुबसूरत जन्नत के हूर नही है मिली है मंजिल मुझे मेरे माँ