हम हैं
हम गौतमबुद्ध, की शांति हैं,भगवान महावीर की, अहिँसा हैं।बजरी के भी, लाल हमहीं,कार्लमार्क्स वाले, सर्वअहारा हैं। हाँ, हम अपनी, मजूरी ख़ुद ही,कमाने वाले है,हम लाल
हम गौतमबुद्ध, की शांति हैं,भगवान महावीर की, अहिँसा हैं।बजरी के भी, लाल हमहीं,कार्लमार्क्स वाले, सर्वअहारा हैं। हाँ, हम अपनी, मजूरी ख़ुद ही,कमाने वाले है,हम लाल
धरा है, जिनकी रचना, उन्हीं को, केवट रीझा रहा है।जिनकी करूँ ना, गंगा मैया, उन्हीं का पद रज, चुरा रहा है इंग्लिश अपनी राम की
Know the mother, as much as one can,But remember the pain,Of the night, by scorpion,She is bearing the pain,May be, for some reasons,Let come the
माँ मैथिली गुरु, ख़गेश्वर नाथ,वाली जुबानी है,कोरे, काग़ज़, पे लिख लो,शाँति यही बस आनी है,विश्वविद्यालय बिहार, नालंदा,खुली कहानी है। धीश देखें, जग धीश देखें,पीने न