महलों से आती आवाजें
महलों से आती आवाज़ें राजाओं के महल शांति के प्रतीक नहीं हैं खून के छींटों से निर्मित हैं कितने ही कर लगाये गयें होंगे आवाम
महलों से आती आवाज़ें राजाओं के महल शांति के प्रतीक नहीं हैं खून के छींटों से निर्मित हैं कितने ही कर लगाये गयें होंगे आवाम
अंहिसा का पुजारी चला गया हिंसा से तड़फकर “हे राम” प्रतिध्वनि के साथ छोड़ गया ….एक गर्मागर्म आज़ादी एक तनी निडर लाठी एक नमक के