युग का युवा
युग का युवा, अब धुंध, तम में खो रहा है , लक्ष्य साधे,आंख में सपने लिए सो रहा है l हर रोज़ हिम्मत की सड़क
युग का युवा, अब धुंध, तम में खो रहा है , लक्ष्य साधे,आंख में सपने लिए सो रहा है l हर रोज़ हिम्मत की सड़क
एक चाँद रिश्ते हज़ार रखता है कभी एक ही इंसान से तो कभी कई रूपो में अलग अलग इंसान से कभी हम उससे रिश्ता जोड़ते
तुम्हारी याद आई तो है , कुछ उदासी छाई तो है ll आया तो है एक छोंका, हवा एक पैगाम लाई तो है ll बोलती
एक रात मैंने अंधियारे में, ख़ुद के अन्दर ख़ुद को देखा l थी लाश मेरी, मेरे अन्दर, थोड़ा मरते, जलते देखा ll निष्प्राण देह, गुमशुद
कभी आओ मिलो, बैठो l जरा सी गुफ्तगू कर लो l मेरे कंधों पर सर रख कर जरा सी शाम तुम कर दो l मेरे
बादल तोड़े खुद को देखो रुई में बदले खुद को देखो धरती रंगी श्वेत रंग से बर्फीली जन्नत तो देखो मोटी मोटी परत हो गयी
लकड़ी,उप्पल,रेवड़ी, लिए हुए ये लोहड़ी ll झूमें नाचें खुश हुयें l नुक्कड़ छप्पर झोपड़ी ll शरदी में गरमी लिए, जलती रही मसाल, दुल्ला भाटी की
एक “मैं” दूसरे “मैं” के साथ , बैठ बात कर रहे थे l “मैं” बोल रहा था बिना जुबां चलाये , और मैं सुन रहा
तुम्हारी नज़रों के सामने, सब बदल रहा था l पर तुम शांत थी ll जैसे कोई, तालाब में पत्थर फेंक, किनारे खड़ा, देखता रहता है
तुम वक्त सी निरंतर मुझमें चलती हो, मैं मौसम बन बदलता रहता हूँ ll कभी खुद के अन्दर का अंधेरा लिए, उजालों में भटकता रहता