एक दिन आयेगा
एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो
एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो
पात्र: प्रथम दृश्य: घर का आँगन (मां चूल्हे के पास बैठी है, सूरज पास में बैठा है।) मां (थकी आवाज़ में): बेटा, प्रिया की शादी
एक गाँव था, जहाँ एक मेहनती किसान, रामप्रसाद अपने चार बेटों के साथ रहता था। वह बचपन से अपने खेतों में पसीना बहाते हुए अपने
एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो
सता लो तुम चाहे जितना मैं तुमको न सताऊंगा ।कभी तो बैठोगे चुपचाप जब तुमको याद आऊंगा ।। कदर करता तुम्हारी हूं तब भी तुम
मैं बिखरता नहीं अगर समेट लेतेखुद के सपनों में धक्का लगाने के काबिल तो रहता। कदे प्यार मुझसे अगर तुम कर लेते,मरते दम तक तुम्हारे
माँ अब मैं बडा हो गया हूं सौन्दर्य भरा जीवन व्यतीत कर रहा एक बच्चा भवन का मालिक समझता खुद को जब मां लाती है
देखो ‘ मैं नहीं मानता पत्थरों में बसे भगवान को सुना है तुम रोज जाती हो माथा टेकने मैं तो यही कहूंगा अगर वहां ईश्वर
अरे वाह! तुम तो बहुत समझदार हो गये चार किताबे क्या पढ ली छिपाने लगे अपने दर्द मुस्कुराना फैशन बना लिया पूछता हूं क्या हुआ
मैंने कभी नहीं चाहाकि तुम संपूर्ण जीवन समर्पित करोसिर्फ चंद खुशियों के लिएमैंसिर्फ तुम्हारा एक पल चाहता हूं।उसी पल में जीना चाहता हूंसंपूर्ण जीवनअधरों पर