जख्म मेरे दिल को वह गुलाब दे गया
जो देखा एक गुलाब तो दिल ये मचल गयाकांटा नहीं था फिर भी वो सीने मे चुभ गयाकहते हैं लोग पंखुड़ी कोमल गुलाब कीपर छुआ
जो देखा एक गुलाब तो दिल ये मचल गयाकांटा नहीं था फिर भी वो सीने मे चुभ गयाकहते हैं लोग पंखुड़ी कोमल गुलाब कीपर छुआ
जो राह तेरे ही दर पे जाए उसी पे हरदम कदम रखूंगासदा ही जीवन बना के निर्मल पुष्प कमल सा खिला करूगाकभी चुभूगा न शूल
त्याग प्रेम दिल भरा तो सब ही अपने हो गएचल के कर्म पथ पे हम इतिहास अपना गढ गयेहौसले बढ़ाके अपने हम शिखर पे चढ़
आज महफिल दिलों की सजा लीजिएअपने दिल की उदासी मिटा दीजिएकोई गम ना रहे अब किसी बात काआज जी भर के तुम मुस्कुरा लीजिएकोई साथी
मैं तो बैठा अभी तक उसी मोड़ परछोड़ कर जिस जगह तुम गए थे कभीराह को तेरे तकता रहा मैं खड़ालौट कर के ना आए
बेकरारी दिलों की छुपाने लगे आग हाथों से अपने लगाने लगे छा गया दिल में उसका नशा इस कदर ख्वाब का एक महल अब बनाने
कभी जब मन करे तेरा मेरे दर पर चले आना बिछाए पलके बैठे है उसी में तुम समा जाना करूंगा दिल की ही बातें सुकू
पार जाके सात सेतू रहनुमा जो बन गए छोड़ अपनापन पराए गुलिस्ता के हो गए याद में उनकी सदा ही मा तड़पती रह गई लौट
शीश जटा और चंद्र विराजे गले भुजंग लपेटे हुए हैं माथे पे हैं जो त्रिनेत्र विशाल उसी से सभी को निहार रहे है कान में
बाबा बेलखरनाथ का है मंदिर यहां दिव्य बना आओ सब भक्त मिल पूजा यहां कर ले दक्षिण में कुछ दूरी बहती सई नदी है कर