शायरी
क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूंछ कर,हाल वही है जो तुमने मेरा बना रखा है।। लिखना चाहता हूँ मैं भी कुछ गहरा सा, जिसे
क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूंछ कर,हाल वही है जो तुमने मेरा बना रखा है।। लिखना चाहता हूँ मैं भी कुछ गहरा सा, जिसे
लाल गुलाबी रंग है, झूम रहा संसार सूरज की किरण खुशियों की बहार चाँद की चांदनी अपनों का त्योहार शुभ हो आप सबको ये रंगों