वो यकता है मगर लगता कई है
वो यकता है मगर लगता कई है। हुनर उसमें ये देखो वाकई है।। रकीबे बज़्म में क्या आप दिखे, दिले नादान को फुर्सत हुई है।।
वो यकता है मगर लगता कई है। हुनर उसमें ये देखो वाकई है।। रकीबे बज़्म में क्या आप दिखे, दिले नादान को फुर्सत हुई है।।
मुसलसल गम मेरे हालात में है। मैं तनहा नहीं जख्म साथ में है।। ज़माने भर की दौलत फीकी लगे, जो सुकूं वस्ल-ए-लम्हात में है।। जरा
मनवा प्रिय दर्शन की आस। कितने सावन बीत गये हैं मिटी न अजहूं प्यास।। माया ठगिनी है भरमावत अंत में करे उदास। मृगतृष्णा न मिटी
शीषफूल मुक्ताजाल चूड़ामणि मांगटीका, कुमकुम बिंदी खेलड़ी सजावति शीश कामिनी। कर्णफूल पीपलपत्रा छैलकड़ि कोकरु बाली, झेला झुमकी माकड़ी झमकावति गजगामिनी। चूनी नासामोती ठुमकी नथ बजट्टी
गमे रुसवाई ज़ख्म दर्द-ए- जलन क्या है। ऐ नये साल बता तुझमें नयापन क्या है।। चांद को छूने की उम्मीदें पाल ली हमने, पूरी जो
नव वर्ष का नवल प्रभात अति सुखद सुवास हो। निर्झरिणी बहे स्नेह की जन जन में प्रेम प्यास हो।। प्रिय से मिलन की चाह हो,
हिज्रे तन्हाई शब गुजारी है। आ भी जाओ के अब तैयारी है। शुक्रिया कहूं तो मैं कैसै कहूं, अभी उनकी बहुत उधारी है। दिल तो
तनहा तनहा सफ़र लगने लगा है। दिले नादान क्या कहने लगा है।। गये क्या बज़्म से वो रूठ करके, इक दरिया अश्क का बहने लगा
करले तू इस जगत में सद्व्यवहार एक दिन। जाना पड़ेगा छोड़कर संसार एक दिन।। विषयादि त्रिगुण फंद अविद्या विकार में, स्व ढका मन बुद्धि चित्त
आजकल मुस्कराने लगे हैं कुचल कर फूल सा दिल मेरा वो, आजकल मुस्कराने लगे हैं। जिनसे मतलब नहीं था कभी भी, उनकी