षड़यंत्र(कहानी)
“आशा, मुझे बच्चों को बहुत पढ़ाना हैं, क्योंकि उनकी हालत अपने जैसी कभी न हो।” विजय ने पत्नी से कहा।“क्या खाक पढ़ाओ गे। हर वर्ष
“आशा, मुझे बच्चों को बहुत पढ़ाना हैं, क्योंकि उनकी हालत अपने जैसी कभी न हो।” विजय ने पत्नी से कहा।“क्या खाक पढ़ाओ गे। हर वर्ष
गाॅंव में सामाजिक परिवर्तन किस तरह से किया जा सकता है,इस संदर्भ में उच्च शिक्षित लड़कों में चर्चा हो रही थी,उसी समय जोर से आवाज