राम सहारे मिश्र
राम सहारे मिश्र

राम सहारे मिश्र

श्री राम जानकी मंदिर, पुरानी दाल मंडी केसा के सामने, केनाल रोड कानपुर,Copyright@राम सहारे मिश्र/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

बेटियाँ

अनुराग का बाग लगे हिरदयंजिसमें नित झूल रहीं हैं बेटी। नित नूतन कुसुमित पल्लवित होंदुःख दर्द को भूल रहीं हैं बेटी ।। बड़े भाग्य सानिध्य

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हरिजन

हरिजन वही है जिसेहरि ने जना हो मित्र ।बातें विचित्र करचित्त ना बिगारिए ।। धर्म की ध्वजा केवाहक सभी हैं यहाँ ।निज हृद स्थल सेसंसय

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मोबाइल

कराग्रे वसते लक्ष्मी कीभूलि गये अब बात ।आंख खोलते बिस्तर पर हीमोबाइल हो हाँथ ।। मोबाइल से आज हुए हैंअपने भी बेगाने ।इसी मोबाइल के

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बसन्त/गणतंत्र

फिर बिरहिन मन में हूक उठीजब बाग़ में कोयल कूक उठीसरसों भी मन में फूल रहीवायु के संग में झूल रहीभौंरे भी गीत सुनाते हैंफूलों

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तिरंगा

भारत माँ की लाज बचानेजाने कितने वीर चले ।कमर लगाकर पिस्तौलों कोहांथो ले शमशीर चले ।।जलियाँवाला बाग हो चाहेहो अल्फ्रेड का पारक ।सभी जगहपर जान

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