बेटियाँ
अनुराग का बाग लगे हिरदयंजिसमें नित झूल रहीं हैं बेटी। नित नूतन कुसुमित पल्लवित होंदुःख दर्द को भूल रहीं हैं बेटी ।। बड़े भाग्य सानिध्य
अनुराग का बाग लगे हिरदयंजिसमें नित झूल रहीं हैं बेटी। नित नूतन कुसुमित पल्लवित होंदुःख दर्द को भूल रहीं हैं बेटी ।। बड़े भाग्य सानिध्य
हरिजन वही है जिसेहरि ने जना हो मित्र ।बातें विचित्र करचित्त ना बिगारिए ।। धर्म की ध्वजा केवाहक सभी हैं यहाँ ।निज हृद स्थल सेसंसय
कराग्रे वसते लक्ष्मी कीभूलि गये अब बात ।आंख खोलते बिस्तर पर हीमोबाइल हो हाँथ ।। मोबाइल से आज हुए हैंअपने भी बेगाने ।इसी मोबाइल के
फिर बिरहिन मन में हूक उठीजब बाग़ में कोयल कूक उठीसरसों भी मन में फूल रहीवायु के संग में झूल रहीभौंरे भी गीत सुनाते हैंफूलों
भारत माँ की लाज बचानेजाने कितने वीर चले ।कमर लगाकर पिस्तौलों कोहांथो ले शमशीर चले ।।जलियाँवाला बाग हो चाहेहो अल्फ्रेड का पारक ।सभी जगहपर जान