होली – गीत (सरसी छंदाधारित)
होली का ये मास सुहाना, लगा गुलाबी रंग।पीकर झूम रहे हैं देखो, नशा चढ़ा जब भंग॥ होली में बहका सजना तब, झूमें गाते फाग।उमड़ रहा
होली का ये मास सुहाना, लगा गुलाबी रंग।पीकर झूम रहे हैं देखो, नशा चढ़ा जब भंग॥ होली में बहका सजना तब, झूमें गाते फाग।उमड़ रहा
सुनाऊँ क्या तुम्हें किस्सा किया तकरार होली में ।उठाया हाथ में बेलन पड़ी थी मार होली में ।पड़ोसन पर फिदा था वो सनम मेरा सलोना
रजनीगंधा की महक, हृद में लगती आग। राधा, कान्हा के बिना, कैसे खेले फाग॥1॥ तन – मन में कान्हा बसा, मनहर लगता फाग। श्याम हृदय