नवेंदु कुमार वर्मा
नवेंदु कुमार वर्मा

नवेंदु कुमार वर्मा

जिला गया( बिहार) 824205. Copyright@नवेंदु कुमार वर्मा/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

अलविदा कहकर

जा रहा हूं तेरे शहर को अलविदा कहकर और न रह पाएंगे तेरे शहर में हम खफा होकर जा रहा हूँ तेरे सहर को अलविदा

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नास्तिकता का उदय

नास्तिकता यू ही नही उभरती हैजब अंग–अंग छलती हैजब अंग–अंग तड़पती हैजब अन्याय के आगे आसमान असहाय हो जाता है !जब निश्चल पवित्र मन परईश्वर

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कान्हा तोहार मुरलिया

कान्हा तोहर मुरलीया जब जब बाजेतब–तब पनघट तीरे राधा नाचेकान्हा तोहर मुरलीया जब जब बाजे। मोर ,पपिहा सब मधुर स्वर में मगनधरती ,आकाश में उमड़ती

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नास्तिकता का उदय

नास्तिकता यू ही नही उभरती हैजब अंग–अंग छलती हैजब अंग–अंग तड़पती हैजब अन्याय के आगे आसमान असहाय हो जाता है !जब निश्चल पवित्र मन परईश्वर

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जल ही जिंदगी है

जल नही,कल की जिंदगी हैबचा लो जितनी उतनी ही जिंदगी है ।बूंद –बूंद तरसना पड़ेगाएक दिन पानी के खातिरकल सुहावन रहे बसयही तो जिंदगी है

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आ रहा है फिर से चुनाव

आ रहा है फिर से चुनाववो फिर से बरगलाने आयेंगे त्यार रहो नागरिकोंवो भीख मांगने आयेंगेआ रहा है फिर से चुनाववो फिर से बरगलाने आयेंगे

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चिड़ियाँ रानी

चिड़ियाँ रानी यूं मुस्का केतुम कहां जाती हो ?हां तुम कहां जाती हो ?चीं –ची करते हुए आकाश मेंउड़ क्यूं जाती हो ? डाल –डाल

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परमाणु युद्ध को रोकना होगा

इससे पहले कुछ हो जाए,मानवता पर आँच भीषण आए,हमे निर्भीक और मासूमियत सेमानवता पर वार रोकना होगा यह संघर्ष है हमारे जीने कीहमें परमाणु युद्ध

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खुशियाँ

सड़ चुके किचड़ में हीकमल के फूल निकलती है,ये खुशी का इजहार न कर,ये खुशियाँ तकलीफ से निकलती है। वो दिखते बहुत खुशहाल हैपर अंदर

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प्रेम रोगी

हे प्रेम ! की बहती हवाओं सुनोंमैं हूंँ नही कोई निरोगीमुझे बचालो उसके कदमों सेअब मैं हूंँ एक गुलाम प्रेम रोगी । अब खो रहा

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