डॉ पंकजवासिनी
डॉ पंकजवासिनी

डॉ पंकजवासिनी

जीवन-वृत्त :- नाम :डॉ. पंकजवासिनी,1986 ईस्वी से कविता एवं साहित्य की विविध विधाओं में अनवरत सृजन! जन्म: 31 अगस्त, 1973 ई.,पटना (बिहार), पिता: प्रोफेसर श्यामनंदन शास्त्री, संस्कृत, हिन्दी,मगही के मूर्धन्य विद्वान और 50 से अधिक पुस्तकों के रचयिता, माता :श्रीमती हेना रानी, शिक्षा :एम. ए. (हिंदी:पटना विश्वविद्यालय) एम. एड. , स्लेट(SLET) : मध्य प्रदेश, NET, पीएच. डी.,संप्रति कार्य: असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर। विगत 24 वर्षों से अध्यापन कार्य, लोकप्रिय एवं स्नेह वत्सल अध्यापिका।संरक्षक सदस्य: हिंदी साहित्य सम्मेलन- कदमकुंआ (बिहार); उपाध्यक्ष: हिंदी साहित्य सम्मेलन,सीतामढ़ी; सदस्य-"हिंदी की गूॅंज" : अंतरराष्ट्रीय पत्रिका,17 वर्ष की उम्र से ही अब तक विभिन्न प्रदेशों के सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के कवि - सम्मेलनों में किया काव्य पाठ और ऑनलाइन एकल काव्य - प्रस्तुतियांँ दीं!!सम्मान :"मीराश्री" सम्मान एवं "नेशन बिल्डर अवार्ड" से सम्मानित, "साहित्य शक्ति सम्मान " "अनामिका साहित्य सम्मान", "पर्यावरण संरक्षक सम्मान" एवं "नारी रत्न सम्मान 2022 एवं 2023" से सम्मानित, "डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान :2021" एवं"आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान" तथा "कोशी साहित्य शौर्य स्वर्ण सम्मान" ,"साहित्य रश्मि" सम्मान से सम्मानित! प्रकाशित रचनाएँ : एकल संकलन :1.दर्पण के सामने" (हिन्दी) 2. नवजात दिनकर भरे किलकार (भोजपुरी )साझा संकलन : 1. हम और तुम 2. एक सफ़र 3. मेरी मिट्टी, 4. काव्य वाटिका(दो भाग में ) 5. काव्य कस्तूरी 6. पूर्वोत्तर की भाषा-संपदा( गद्य). 7.लाॅकडाउन: एक अनुभव,8.साहित्यानुराग,9.जब-जब आतीं हैं आपदाएं,10. महकते अल्फाज़,11.अंतर्मन की आवाज,12.धरा से गगन तक-२एक दर्जन ई साझा संकलन!पत्र - पत्रिकाओं में सैंकड़ों कविताएँ, मुक्तक, क्षणिकाएंँ , दोहे, घनाक्षरी कवित्त एवं दर्जनों आलेख, समीक्षा, संस्मरण, लघुकथा, एकांकी, कहानी प्रकाशित!प्रकाशनाधीन : 1.कविताओं का दूसरा व तीसरा संकलन! 2.निबंधों का एक संकलन! 3.चार साझा संकलन।16 वर्ष की उम्र से ही कविता लेखन!और आकाशवाणी, पटना से उनका प्रसारण!! 950 से अधिक कविताओं की रचना !! इनमें स्नेह, सौहार्द्र, आत्मीयता एवं संवेदनशीलता तथा मानवता से लबरेज नई दुनिया की तलाश !!! Copyright@डॉ पंकजवासिनी / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

बाट

अहले सुबह हीउठती हूँ मैंतुम्हारे संग – साथकी ख्वाहिश लिए….कितुम उठोगे तो चलोगेमेरे संगसुबह की सैर पर!जो हो गई देरतोपी लोगे साथ बैठसुबह की चाय

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