डॉ. नीरू जैन
डॉ. नीरू जैन

डॉ. नीरू जैन

डॉ. नीरू जैन, जयपुर से, ने थाईलैंड में ज्वैलरी डिजाइनिंग की शिक्षा पूरी करने के बाद IIS यूनिवर्सिटी, ( ICG ) जयपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरता हैं। उनकी रुचि शोध आलेखों और कविता लेखन में है, जिन्हें विभिन्न देशों और विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने ज्वैलरी के क्षेत्र में "मेटल डेकोरेन टेकनीक्स" नामक एक किताब लिखी है और विभिन्न काव्य संकलनों में शामिल होकर अपनी कला को प्रस्तुत किया है। उनकी कविताओं में, जैसे कि "तेरा चेहरा जब नज़र आए" और "इक धागा प्रेम का", वह अपने पाठकों को प्रमुख काव्य संकलनों के माध्यम से सुंदर भावनाओं में भिगोने का आनंद दिलाती हैं। "इश्क़ सूफियाना" और “तेरा सजदा” जैसे साझा काव्य संकलन में, वह नए और पुराने कवियों और शायरों की भावनाओं को मिलाकर एक अद्वितीय साहित्यिक अनुभव प्रदान करती हैं। उनकी पांचवी किताब "इश्क़िया चाय" एक प्यार भरी यात्रा का अद्वितीय वर्णन है, जो चाय के साथ मिली मुलाकातों की यादों को ताजगी से भर देती है। उनकी "अदृश्य पथगामी" संकलन में, हर पंक्ति एक अद्वितीय आत्मीय प्रेम का चित्रण करती है, भावनाओं की गहराईयों को छूने वाले शब्दों से भरा हुआ है। यह काव्य उनके विचारों, प्रेम, और जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सुंदरता से प्रस्तुत करता है।कविताएं सीधी भाषा में हैं और प्रेम, भावनाएं, और जीवन के महत्वपूर्ण विचारों को सुंदरता से प्रस्तुत करती हैं। इनकी रचनाएं 40 से अधिक साझा किताबों में प्रकाशित हो चुकी हैं और कवि सम्मेलनों में उन्हें सम्मान और प्रशंसा से सम्मानित किया गया है।/© डॉ. नीरू जैन

रंग गुलाल तुम भेज दिये

रंग गुलाल तुम भेज दिये हैंपरमेरे चेहरे को जो रंग जाए, वोतेरे हाथ कहां से लाऊं मैं,औरमेरा दिल जो चाहे तुझे रंगने कोतेरे गाल कहां

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गुलाबी होली

हर रंग में तू ही तू हैवो कौन जगह जहां तू नहीं,भोर की लाली में तुमरंग हरा बन, हरियाली में तुम,चांद से चमकीलेतुम सूरज से

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प्रेम का अबीर

बेरंग से रंग ढूंढने, बाज़ार में न जाएअपनों की प्रीतरंग, घुल मिल जाए,और होली की रौनक बढ़ाए… हर सुबह फिर गुलाबी होगीहर शाम फिर इन्द्रधनुष

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